पाकिस्तान में आतंक की जड़ें, खात्मे के लिए घर में घुसकर फिर सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत – Terror roots in Pakistan to eradicate it surgical strikes are required inside the country ntc – MASHAHER

ISLAM GAMAL16 July 2024Last Update :
पाकिस्तान में आतंक की जड़ें, खात्मे के लिए घर में घुसकर फिर सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत – Terror roots in Pakistan to eradicate it surgical strikes are required inside the country ntc – MASHAHER


बृजेश थापा का बचपन से एक सपना था, कि वह पिता कर्नल भुवनेश थापा की सेना की जिप्सी में ड्राइवर के बगल में बैठें और वहां से गुजरने वाले हर सैनिक को सलामी दें. बृजेश पिता की बेरेट (कैप) पहनकर ड्राइवर व सहयोगी को सलामी देना चाहते थे. सेना उनके खून में थी और जब मुंबई से इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद बृजेश को आर्मी एयर डिफेंस में कमीशन मिला तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

कैप्टन बृजेश थापा अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के सैनिक थे और जब उन्हें डोडा में 10 राष्ट्रीय राइफल्स के जिम्मेदारी वाले क्षेत्र में छिपे आतंकवादियों के एक समूह का पीछा करने का काम सौंपा गया तो उन्होंने एक बार भी संकोच नहीं किया. बादल छाए हुए थे और जब पहली गोलीबारी हुई तो बारिश हो रही थी. कैप्टन बृजेश थापा और उनकी टीम से बचकर आतंकवादी घने जंगल वाले पहाड़ी इलाके में छिप गए. दूसरी बार कई दिशाओं से गोलीबारी हुई और 27 वर्षीय बहादुर जवान ने तीन अन्य सैनिकों के साथ डोडा के जंगल में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दे दिया.

जब चारों सैनिकों के पार्थिव शरीर को उनके घर ले जाने के लिए जम्मू एयरपोर्ट लाया गया तो हर किसी की आंखें नम थीं. लेकिन जब लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने पार्थिव शरीर को सलामी दी तो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के सामने कई कठिन सवाल खड़े हो गए.

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के रूप में मनोज सिन्हा उत्तरी कमान के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचेंद्र कुमार की सलाह पर संयुक्त कमान का नेतृत्व करते हैं. संयुक्त कमान में जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक आरआर स्वैन और खुफिया ब्यूरो, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल और जम्मू-कश्मीर में अन्य बलों और एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं.

वर्तमान सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी जो हाल ही तक उत्तरी कमान के सेना कमांडर थे और लेफ्टिनेंट जनरल सुचेंद्र कुमार (सेना कमांडर, उत्तरी कमान) जो पहले नागरौटा स्थित व्हाइट नाइट कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग थे, दोनों ही इस पूरे इलाके को अच्छी तरह जानते हैं. फिर भी आतंकवादी बिना किसी डर के हमला करने में सक्षम हैं, पीर पंजाल के दक्षिण में हमले का दायरा बढ़ाते हैं और फिर पहाड़ी घने जंगलों वाले इलाके में गायब हो जाते हैं.

आतंकवाद विरोधी स्थिति में आतंकवादियों को पहले कदम उठाने का फायदा मिलता है. हालांकि, अगर खुफिया ग्रिड मजबूत है तो अगले 48 से 72 घंटों के भीतर आतंकवादियों का पता लगाकर उनको खत्म करना चाहिए. सेना और विशेष अभियान समूह (एसओजी) खुफिया जानकारी के आधार पर संयुक्त अभियान चलाते हैं और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और जम्मू-कश्मीर पुलिस सुनिश्चित करती है कि प्रभावी घेराबंदी की जाए. हालांकि, न तो एसओजी और न ही सेना पीर पंजाल के दक्षिण में सक्रिय आतंकवादियों को बेअसर करने के लिए ऑपरेशन का समन्वय करने में सक्षम है.

बता दें कि आतंक कश्मीर घाटी से पीर पंजाल के दक्षिण के जिलों में शिफ्ट हो गया है. 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने से पहले 2019 में कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर सेना की तैनाती के साथ यह अपेक्षित था. आतंकवादी आमतौर पर अंतराल का फायदा उठाते हैं और बलों की आवाजाही से मौका पाकर ठिकाने खोज लेते हैं. भारत-चीन गतिरोध के साथ 2020 में LAC पर चीनी अतिक्रमण को रोकने के लिए कई बटालियनों को भेजा गया था. वे बल पूर्वी लद्दाख में LAC पर तैनात हैं. पीर पंजाल के दक्षिण में सैनिकों की कमी को कुछ हद तक दूर कर दिया गया है. हालांकि, कंपनी कमांडरों और बटालियन कमांडरों के पास अब जिम्मेदारी का एक बड़ा क्षेत्र (AOR) है. सीमित संसाधनों और बड़े क्षेत्रों के साथ, आतंकवादी अंतराल का फायदा उठाने में सक्षम हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन का मानना ​​है कि LAC पर भारत की स्थिति पूरी तरह से रक्षात्मक नहीं है, क्योंकि वहां भारी सैन्य तैनाती की गई है और वह पाकिस्तान का इस्तेमाल पीर पंजाल के दक्षिण में दबाव बनाने के लिए कर रहा है. उसे उम्मीद है कि आतंकी हमलों में वृद्धि के कारण भारत LAC से पीर पंजाल के दक्षिण में अंदरूनी इलाकों में अपनी तैनाती को फिर से समायोजित करने के लिए मजबूर होगा. चीन पाकिस्तान को न केवल कवच को भेदने के लिए स्टील की गोलियों से बल्कि हाईटेक कम्यूनिकेशन उपकरणों से भी लैस कर रहा है, जिन्हें रोकना मुश्किल है. सुरक्षा बलों को तकनीकी खुफिया जानकारी और मानवीय खुफिया जानकारी दोनों के मामले में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

खुफिया जानकारी से पता चलता है कि पीर पंजाल के दक्षिण में 35 से 50 विदेशी आतंकवादी (पाकिस्तानी) सक्रिय हैं. उन्हें गाइड और रसद सहायता के मामले में कुछ स्थानीय समर्थन प्राप्त है. पुलिस और स्थानीय खुफिया यूनिट्स को इतने सारे आतंकवादियों की आवाजाही के बारे में खुफिया जानकारी होनी चाहिए, भले ही वे छोटे समूहों में हों. यह भी सच है कि वे बार-बार सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के बावजूद काम करने में सक्षम हैं, जो कि खुफिया और संचालन ग्रिड दोनों में एक बड़ी खामी की ओर इशारा करता है.

उत्तरी कमान के सेना कमांडर और सेना प्रमुख दोनों को ऑपरेशन के क्षेत्र का व्यावहारिक अनुभव है, इसलिए आतंकवादियों का इतने लंबे समय तक जिंदा नहीं रहना चाहिए. यह सच है कि आतंकवादी बार-बार सुरक्षा बलों और नागरिकों को निशाना बनाने में सक्षम हैं, यह दर्शाता है कि उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा है और उनके ऑपरेशन का दायरा बढ़ रहा है.

अब बड़ा खतरा सिर्फ अमरनाथ यात्रा और पर्यटकों को निशाना बनाने का नहीं है, बल्कि राजौरी, पुंछ, जम्मू, रियासी, डोडा के बाद आतंकवादी कश्मीर और यहां तक ​​कि पंजाब की ओर भी बढ़ सकते हैं.

आतंकवादियों ने पहले भी ऐसा किया है. गुरदासपुर और पठानकोट दोनों को निशाना बनाया है. इसलिए सुरक्षाबलों के लिए यह बहुत जरूरी है कि इन आतंकवादियों को बेअसर किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि अतिरिक्त आतंकवादी घुसपैठ न कर सकें और सुचारू रूप से काम न कर सकें. मुख्य पर्यटन सीजन खत्म होते ही आतंकवादी अपना ध्यान वापस कश्मीर घाटी की ओर मोड़ लेंगे और बड़ी सुर्खियां बटोरने के लिए नागरिकों को निशाना बनाएंगे. पाकिस्तान भी जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव नहीं चाहता है. इसलिए नागरिकों, पर्यटकों, सैन्य काफिलों या ठिकानों पर हाई प्रोफाइल हमलों से यह संदेश जाने की संभावना है कि अनुच्छेद 370 के बाद कुछ भी नहीं बदला है.

आतंकी हमलों में आई इस तेजी से सुरक्षा बलों और राजनीतिक नेतृत्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण सबक हैं. पाकिस्तान सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर जीत की समय से पहले घोषणा और सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) को समय से पहले हटाने की बात से अल्पकालिक राजनीतिक लाभ मिल सकता है, लेकिन पाकिस्तान सैन्य-जिहाद परिसर द्वारा नियंत्रित आतंकवाद के कारण राष्ट्र के लिए दीर्घकालिक प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं.

भारतीय सुरक्षा बलों को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद को खत्म करने में आगे रहने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करना चाहिए. और उरी सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा के बाद बालाकोट हवाई हमलों की तरह आतंक को खत्म करने के लिए उसके मूल स्रोत पर ही प्रहार करना चाहिए. भारत में आतंकवादियों को मारना पाकिस्तान में जड़ों वाले आतंक के पेड़ की पत्तियों और शाखाओं को काटने जैसा है.


Source Agencies

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