शेख हसीना ने नहीं माना अल्टीमेटम, बांग्लादेश में फिर सड़क पर उतरे छात्र, जगह-जगह प्रदर्शन – PM Sheikh Hasina did not accept the ultimatum students again took to the streets in Bangladesh demonstrations at various places ntc – MASHAHER

ISLAM GAMAL30 July 2024Last Update :
शेख हसीना ने नहीं माना अल्टीमेटम, बांग्लादेश में फिर सड़क पर उतरे छात्र, जगह-जगह प्रदर्शन – PM Sheikh Hasina did not accept the ultimatum students again took to the streets in Bangladesh demonstrations at various places ntc – MASHAHER


बांग्लादेश में एक बार फिर सड़कों पर बवाल देखने को मिल रहा है. प्रधानमंत्री शेख हसीना ने माफी मांगने के अल्टीमेटम को नजरअंदाज कर दिया है, जिसके बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है और सरकार के खिलाफ जगह-जगह सड़कों पर उतर आए हैं. स्थानीय छात्र अपने नेताओं की रिहाई की मांग कर रहे हैं. सरकार ने प्रदर्शन करने वाले छात्र नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

छात्रों ने देश में अशांति के लिए सरकार को माफी मांगने के लिए अल्टीमेटम दिया था, जिसे सरकार की तरफ से नंजरअंदाज किए जाने पर छात्रों ने फिर प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. इससे पहले सोमवार को बांग्लादेश सरकार ने पहली बार स्वीकर किया अशांति में देशभर में करीब 150 लोग मारे गए हैं. सरकार ने राष्ट्रव्यापी शोक की घोषणा की है.

विरोध प्रदर्शन दबाने बुला ली सेना

हाल ही में बांग्लादेश में हिंसा भड़क उठी और सरकार ने नौकरी में कोटा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए सेना बुला ली. इस महीने की शुरुआत में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ और फिर प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन में बदल गया. अशांति में पुलिसकर्मियों समेत कई हजार लोग घायल हुए हैं और प्रमुख सरकारी प्रतिष्ठान क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

देशव्यापी शोक मनाया जाएगा

पीएम हसीना की अध्यक्षता में बैठक के बाद कैबिनेट सचिव महबूब हुसैन ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, सरकार ने फैसला किया है कि कल (मंगलवार) देशव्यापी शोक मनाया जाएगा. उन्होंने लोगों से काले बैज पहनने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि देशभर की मस्जिदों, मंदिरों, शिवालयों और चर्चों से भी दिवंगत आत्माओं और घायल लोगों के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया है.

हुसैन ने बताया कि गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने बैठक में स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट पेश की और देशभर में झड़पों में 150 लोगों की मौत की पुष्टि की. यह जानकारी तब सामने आई, जब सैन्य और अर्धसैनिक बल राजधानी ढाका की सड़कों पर गश्ती करने उतरे. पुलिस भी कड़ी निगरानी कर रही है. दरअसल, प्रदर्शनकारी छात्रों के एक गुट ने फिर विरोध-प्रदर्शन बुलाया है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि हमारे नेताओं को दबाव में पुलिस हिरासत में लिया गया है.

छात्रों की मांगें क्या हैं?

छात्रों ने सड़कों पर छिटपुट विरोध-प्रदर्शन किया, लेकिन राजधानी के कुछ हिस्सों और अन्य जगहों पर पुलिस ने उन्हें तुरंत खदेड़ दिया. छात्रा का कहना है कि अशांति के लिए प्रधानमंत्री को सार्वजनिक माफी मांगना चाहिए. उनके कई मंत्रियों को बर्खास्त किया जाए और देशभर में स्कूलों और यूनिवर्सिटी को फिर से खोला जाना चाहिए. अशांति के कारण स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया?

हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बीच 21 जुलाई को बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम बरकरार रखने के हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने आरक्षण की इस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म नहीं किया. अटॉर्नी जनरल एएम अमीनउद्दीन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कोटा सिस्टम को बरकरार रखने के हाई कोर्ट के आदेश को ‘अवैध’ माना है. उन्होंने कहा, ‘शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में सरकारी नौकरियों में 93 फीसदी पद मेरिट के आधार पर भरने का आदेश दिया. वहीं, 1971 मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों और अन्य श्रेणियों के लिए सिर्फ 7 प्रतिशत पद आरक्षित रखने को कहा.’ बांग्लादेश में अब चले आ रहे कोटा सिस्टम के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित थीं. इनमें से 30 प्रतिशत 1971 मुक्ति संग्रामके सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और 1 प्रतिशत विकलांग लोगों के लिए आरक्षित थीं. स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ छात्र आंदोलनरत हैं. बता दें कि बांग्लादेश में हर साल करीब 3 हजार सरकारी नौकरियां ही निकलती हैं, जिनके लिए करीब 4 लाख कैंडिडेट अप्लाई करते हैं.

क्यों सड़कों पर उतरे छात्र?

साल 2018 में इस कोटा सिस्टम के विरोध में बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन हुआ था. शेख हसीना सरकार ने तब कोटा सिस्टम को निलंबित करने का फैसला किया था. मुक्ति संग्राम स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने पिछले महीने शेख हसीना सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और कोटा सिस्टम को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था. अदालत के इस फैसले के बाद पूरे बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, बसों और ट्रेनों में आगजनी की. हालात इतने बेकाबू हो गए कि हसीना सरकार को सड़कों पर सेना उतारनी पड़ी.

बांग्लादेश में 17 जुलाई को मोबाइल इंटरनेट सेवाएं सस्पेंड कर दी गईं थीं और कर्फ्यू लगा दिया गया था. सरकार ने विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की सहायता के लिए सेना को बुलाया. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, देश भर में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं. बड़े पैमाने पर प्रसारित होने वाले ‘प्रोथोम अलो’ अखबार ने 210 मौतों का हवाला दिया, इनमें 113 बच्चे शामिल हैं. अखबार ने कहा कि अशांति की शुरुआत के बाद से देशभर में कम से कम 9,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल

बांग्लादेशी अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने मोबाइल इंटरनेट और प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 10 दिन पहले बंद कर दिया था. अब देश में इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दीं हैं. विरोध प्रदर्शन खत्म होने के बाद स्थिति सामान्य हो गई है. राज्य के दूरसंचार और सूचना संचार प्रौद्योगिकी मंत्री जुनैद अहमद पलक की घोषणा के कुछ घंटों बाद रविवार को 4जी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं फिर से शुरू हो गईं. हालांकि, व्हाट्सएप, फेसबुक, टिकटॉक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रतिबंधित रहेंगे. 


Source Agencies

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