नजूल की जमीन पर योगी सरकार के बिल में ऐसा क्या था, जो BJP विधायक भी उतरे विरोध में? पढ़ें- पूरी डिटेल – yogi adityanath govt nazul land bill why nazul land bill 2024 opposed bjp sp congress ntc pryd – MASHAHER

ISLAM GAMAL2 August 2024Last Update :
नजूल की जमीन पर योगी सरकार के बिल में ऐसा क्या था, जो BJP विधायक भी उतरे विरोध में? पढ़ें- पूरी डिटेल – yogi adityanath govt nazul land bill why nazul land bill 2024 opposed bjp sp congress ntc pryd – MASHAHER


उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार नजूल संपत्ति पर नए बिल को लेकर घिर गई है. इसका बिल यूपी विधानसभा में तो पास हो गया था, लेकिन अगले ही दिन विधान परिषद में अटक गया. अटका भी सिर्फ विपक्ष के कारण ही नहीं, बल्कि खुद बीजेपी विधायकों ने भी इसका विरोध किया था. अब इस बिल को प्रवर समिति के पास भेजा गया है.

नजूल की जमीन को लेकर योगी सरकार ने इसी साल पांच मार्च को एक अध्यादेश पास किया था. इसे राज्यपाल ने मंजूरी भी दे दी थी. लेकिन कानून बनाने के लिए इसे विधानसभा में लाना जरूरी थी. इसलिए 31 जुलाई को यूपी नजूल संपत्ति (लोकप्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) बिल 2024 पेश किया गया. उस दिन तो भारी विरोध के बावजूद ये बिल पास हो गया.

लेकिन अगले ही दिन यानी 1 अगस्त को जब इसे विधान परिषद में लाया गया तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधान परिषद के सदस्य भूपेंद्र चौधरी ने इसका विरोध कर दिया. उन्होंने इस बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की. अब प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा.

विधानसभा में पास तो विधान परिषद में कैसे अटका?

नजूल संपत्ति को लेकर इस बिल पर पहले से ही विरोध हो रहा था. विपक्ष तो इसके खिलाफ था ही, साथ ही बीजेपी के भी कई नेता खुलकर इसका विरोध कर रहे थे.

केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी इसका विरोध किया था और इसे जल्दबाजी में लाया गया बिल बताया था. अनुप्रिया पटेल ने इस बिल को तत्काल वापस लेने की मांग की थी. 

माना जा रहा है कि रणनीति के तहत इस बिल को विधान परिषद में अटकाया गया है. बताया जा रहा है कि विधानसभा में बिल पास होने के बाद कई विधायकों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से अलग से मुलाकात की थी और इस पर कई संशोधन सुझाए थे. विधायकों ने चिंता जताई थी कि बिल के पास होने से लाखों लोग प्रभावित होंगे और प्रशासन जब चाहेगा तब पीढ़ियों से बसे इन लोगों से उनकी जमीन छीन लेगा. 

मुख्यमंत्री योगी को भी लगा कि शायद ये जल्दबाजी में उठाया गया कदम है, इसलिए उन्होंने इसे ठंडे बस्ते में डालने की अनुमति दे दी. चूंकि ये बिल विधानसभा से पास हो गया था, इसलिए इसे विधान परिषद में प्रवर समिति के जरिए दो महीने के लिए टाल दिया गया है.

बिल के विरोध का कारण क्या था?

शुरुआत से ही इस बिल का विरोध हो रहा था. विधानसभा में जब ये बिल लाया गया तो इसके विरोध में समाजवादी पार्टी के विधायक वेल तक पहुंच गए थे. दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी और सहयोग दलों के कुछ विधायकों ने भी इसका विरोध किया. 

बीजेपी विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी और पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, एनडीए की सहयोगी निषाद पार्टी और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने भी इसका विरोध किया.

सिद्धार्थनाथ सिंह ने मांग की थी कि जो लोग सालों से लीज देकर नजूल की जमीन पर रह रहे हैं या जो लोग फ्री-होल्ड के लिए किश्तें दे रहे हैं, उनकी लीज का भी रिन्यूअल किया जाए. 

वहीं, राजा भैया ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा था कि इससे हजारों लोग बेघर हो जाएंगे. संपत्ति का अधिकार साफ होना चाहिए. गरीबों के पास नजूल की जमीन को फ्री-होल्ड कराने का अधिकार होना चाहिए.

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इस बिल में ऐसे क्या प्रावधान थे?

– बिल में प्रावधान था कि नजूल की जमीन के मालिकाना हक में बदलाव को लेकर कोर्ट या प्राधिकरण के पास जो आवेदन पेंडिंग हैं, उन्हें अस्वीकृत समझा जाएगा.

– नजूल की जमीन को फ्री-होल्ड कराने के लिए लोगों ने जो राशि जमा की है, उसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की ब्याज दर पर वापस कर दिया जाएगा.

– अगर समय पर लीज रेंट जमा किया गया है और लीज की शर्तों में कोई उल्लंघन नहीं है तो नजूल की जमीन अभी पट्टेदार से वापस नहीं ली जाएगी. लीज खत्म होने या कुछ विवाद होने पर जमीन का कब्जा सरकार ले लेगी.

– नजूल की जमीन का पूरा मालिकाना हक किसी व्यक्ति या संस्था को नहीं दिया जाएगा. नजूल की जमीन का इस्तेमाल सिर्फ सार्वजनिक उपयोग के लिए लिए ही किया जाएगा.

– अगर नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है तो 30 साल के लिए अपनी लीज का रिन्यूअल करवा सकते हैं. अगर रिन्यू नहीं करवाना चाहते तो उनके पास अपना पैसा वापस लेने का विकल्प होगा. जबकि पहले 99 साल तक लीज पर लिया जा सकता था.

– नजूल की जमीन पर कोई विवाद नहीं है तो सरकार उसे फ्री-होल्ड करने पर विचार कर सकती है. इस मामले में कलेक्टर लीज धारक का पक्ष सुनने के बाद ही कोई फैसला लेंगे.

सरकार का क्या है कहना?

विधानसभा में इस बिल को पेश करते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कई तर्क रखे थे. उन्होंने बताया कि विकास के लिए जमीन की तत्काल जरूरत है. 

उन्होंने कहा था, पहले की नीतियों के कारण कई तरह के दावे हुए हैं और जमीन बैंकों पर बोझ बन गई हैं. जमीन की जरूरत को देखते हुए अब इन नीतियों को जारी रखना और जनहित को देखते हुए नजूल की जमीन को फ्री-होल्ड में बदलने की अनुमति देना उत्तर प्रदेश के हित में नहीं है.

सुरेश खन्ना ने दावा किया कि सरकार गरीबों की जमीन खाली नहीं कराएगी. उन्होंने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को राहत दी गई है और उनसे मकान खाली नहीं कराया जाएंगे. पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी.

उन्होंने कहा, संविधान के तहत नजूल की जमीन सरकार की होती है और लोगों को इसका मालिकाना हक नहीं मिल सकता. अगर प्राधिकरण ने इन्हें आवंटित किया है तो किसी भी व्यक्ति से जमीन नहीं छीनी जाएगी. जिन लोगों ने पैसा जमा किया है, उनकी लीज रिन्यू की जाएगी. उन्होंने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि सरकारी जमीन का इस्तेमाल जनहित और विकास के लिए किया जाता है.

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पर ये नजूल की जमीन होती क्या है?

आजादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह करने वाले राजा-रजवाड़े जब हार जाते थे तो ब्रिटिश सेना उनकी जमीनें हड़प लेती थीं. सिर्फ इनकी ही नहीं, बल्कि किसी भी व्यक्ति की जमीन को हड़प लिया जाता था.

आजादी के बाद इन जमीनों से अंग्रेजों का कब्जा तो हट गया, लेकिन इसके मालिकों के पास अपना मालिकाना हक बताने के लिए कोई दस्तावेज या सबूत ही नहीं थे. ऐसे में इन संपत्तियों को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया. इस तरह इन जमीनों को नजूल भूमि के रूप में दर्ज किया गया और राज्य सरकारों को इनका मालिकाना हक सौंप दिया गया.

जो जमीन सरकारी रिकॉर्ड में नजूल के नाम पर दर्ज है, उसे ट्रांसफर तो किया जा सकता है, लेकिन मालिकाना हक नहीं बदला जा सकता. यानी, उस जमीन की मालिक तो सरकार ही रहेगी, लेकिन उसका उपयोग कोई और व्यक्ति या संस्था कर सकती है.

आमतौर पर राज्य सरकारें नजूल की इन जमीनों का इस्तेमाल सार्वजनिक उपयोग के लिए करती हैं. मसलन, यहां पर स्कूल, अस्पताल या पंचायत ऑफिस बनवा दिया जाता है. कई जमीनों को सरकार लीज पर भी दे देती है. ये लीज 15 से 99 साल तक की होती है.

बिल कानून बन जाता तो क्या होता?

उत्तर प्रदेश में करीब 25 हजार हेक्टेयर से ज्यादा नजूल की जमीनें हैं. ज्यातादर जमीनों को सरकार व्यक्तियों या संस्थाओं को लीज पर दे देती है.

नजूल की जमीन पर हजारों लोगों ने अपना घर बसा लिया है. इन जमीनों के फ्री-होल्ड होने की उम्मीद में लोग सालों से पैसा जमा कर रहे हैं. लेकिन अब उन्हें डर है कि फ्री-होल्ड तो दूर सरकार अब उनसे ये जमीन भी छीन लेगी. 

दावा ये भी किया जा रहा है कि अगर ये बिल कानून बनता है तो नजूल की जमीन की लीज भी नहीं बढ़ाई जाएगी. जिनकी लीज खत्म हो गई है, उन्हें नई लीज भी नहीं मिलेगी. ऐसी जमीन को सरकार खाली कराकर अपने कब्जे में ले लेगी.

बहरहाल, योगी सरकार का दावा है कि इस बिल को इसलिए लाया गया था ताकि विकास योजनाओं के लिए इन जमीनों का इस्तेमाल किया जा सके. लेकिन इससे लाखों लोगों के बेघर होने का खतरा भी मंडराने लगा है. फिलहाल, ये बिल प्रवर समिति के पास भेज दिया गया है और इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.


Source Agencies

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