कौन हैं नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस जो बने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया? – Bangladesh Coup Who is Nobel laureate Muhammad Yunus who chosen chief adviser by Bangladesh protesters ntc – MASHAHER

ISLAM GAMAL7 August 2024Last Update :
कौन हैं नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस जो बने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया? – Bangladesh Coup Who is Nobel laureate Muhammad Yunus who chosen chief adviser by Bangladesh protesters ntc – MASHAHER


ग्लोबल माइक्रोक्रेडिट आंदोलन के जनक और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार का मुखिया चुना गया है. मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के धुर विरोधी हैं. शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना के पीछे एक प्रमुख कारण इन्हें भी माना जा रहा है.  

‘गरीबों के बैंकर’ के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला चुका है. कारण, उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी. इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी.

ग्रामीण अमेरिका किया शुरू

उनके कर्ज देने के इस मॉडल ने दुनिया भर में ऐसी कई योजनाओं को प्रेरित किया. इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं. अमेरिका में यूनुस ने एक अलग गैर-लाभकारी संस्था ग्रामीण अमेरिका की भी शुरुआत की. 84 वर्षीय यूनुस जैसे-जैसे सफल होते गए उनका झुकाव राजनीति में करियर बनाने की ओर बढ़ता चला गया. उन्होंने 2007 में अपनी खुद की पार्टी भी बनाने की कोशिश की. लेकिन जब उनकी इस महत्वाकांक्षा ने बड़ा रूप लेना शुरू किया तब शेख हसीना नाराज हो गईं. हसीना ने यूनुस पर पर ‘गरीबों का खून चूसने’ का आरोप भी लगाया.

बांग्लादेश और पड़ोसी भारत सहित अन्य देशों के आलोचकों का भी कहना है कि माइक्रोलेंडर्स अधिक ब्याज वसूलते हैं और गरीबों से पैसे कमाते हैं. लेकिन यूनुस ने कहा कि ये दरें विकासशील देशों में स्थानीय ब्याज दरों की तुलना में बहुत कम हैं. 2011 में हसीना सरकार ने उन्हें ग्रामीण बैंक के प्रमुख के पद से हटा दिया था. तब सरकार का कहना था कि कि 73 वर्ष के यूनुस 60 वर्ष की कानूनी सेवानिवृत्ति की आयु के बाद भी पद पर बने हुए थे. तब लोगों ने उनकी बर्खास्तगी का विरोध किया था. हजारों बांग्लादेशियों ने विरोध में मानव श्रृंखला बनाई थी.

छह महीने की हुई जेल

इसी साल जनवरी में यूनुस को श्रम कानून के उल्लंघन के लिए छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी. जून में बांग्लादेश की एक अदालत ने यूनुस और 13 अन्य लोगों पर उनके द्वारा बनाए गए एक दूरसंचार कंपनी में वहां काम करने वाले लोगों के कल्याण कोष से 252.2 मिलियन टका (2 मिलियन डॉलर) के गबन के आरोप में मुकदमा भी चलाया था. 

हालांकि उन्हें किसी भी मामले में जेल नहीं भेजा गया. यूनुस पर भ्रष्टाचार और अन्य कई आरोपों के 100 से अधिक अन्य मामले चल रहे हैं. हालांकि, यूनुस ने ऐसे  किसी भी तरह को आरोपों से इनकार किया. इसी साल जून में हसीना की आलोचना करते हुए यूनुस ने कहा था, ‘बांग्लादेश में कोई राजनीति नहीं बची है. केवल एक पार्टी है जो सक्रिय है और हर चीज पर कब्जा करती है. और वो अपने तरीके से चुनाव जीतती है.’

उन्होंने टाइम्स नाउ से बात करते हुए सोमवार को कहा कि हसीना के देश से बाहर निकलने के बाद 1971 में पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़े गए युद्ध के बाद यह बांग्लादेश के लिए “दूसरा मुक्ति दिवस” ​​है. यूनुस फिलहाल पेरिस में हैं और वहां एक मामूली मेडिकल प्रक्रिया से गुजर रहे हैं. उनके प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने हसीना के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने वाले छात्रों के अनुरोध पर सहमति जताई है जिनमें उन्हें अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाए जाने की बात कही गई है.

चटगांव यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे इकोनॉमिक्स

1974 में जब बांग्लादेश में अकाल पड़ा तब युनुस चटगांव यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स पढ़ाते थे. इस अकाल में हजारों लोग मारे गए थे. तब युनुस ने देश की विशाल ग्रामीण आबादी की मदद के लिए कोई बेहतर तरीका खोजने की सोची. यह मौका तब आया जब यूनुस की मुलाकात यूनिवर्सिटी के नजदीक के एक गांव में एक महिला से हुई जिसने एक साहूकार से उधार लिया हुआ था. यह कर्ज एक डॉलर से भी कम था, लेकिन बदले में साहूकार को यह अधिकार मिल गया था कि वह महिला द्वारा उपजाए गए किसी भी चीज को अपने द्वारा तय किए गए कीमत पर खरीद सकता है. 

यूनुस ने नोबेल पुरस्कार लेते समय अपने भाषण में कहा था, ‘मेरे लिए यह गुलाम मजदूरों को भर्ती करने का एक तरीका था.’ तब उन्होंने 42 ऐसे लोगों को ढूंढा जिन्होंने साहूकार से कुल 27 डॉलर उधार लिए थे और उन्हें खुद के पैसे उधार दिए. इसकी सफलता ने उन्हें और अधिक कर्ज देने के लिए प्रेरित किया. यूनुस ने कहा था, ‘कर्ज देने के बाद मुझे जो परिणाम मिले उससे मैं चकित रह गया. गरीबों ने हर बार समय पर ब्याज चुकाया.’


Source Agencies

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