जम्मू कश्मीर में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन से बीजेपी को फायदा या नुकसान? – BJP will benefit or suffer from Congress National Conference alliance in Jammu and Kashmir assembly election opns2 – MASHAHER

ISLAM GAMAL23 August 2024Last Update :
जम्मू कश्मीर में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन से बीजेपी को फायदा या नुकसान? – BJP will benefit or suffer from Congress National Conference alliance in Jammu and Kashmir assembly election opns2 – MASHAHER


जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. हालांकि तब जम्मू कश्मीर राज्य के लिए चुनाव हुए थे अब केंद्र शासित प्रदेश के लिए जनता वोट डालेगी. 370 और 35ए के खात्मे के बाद पहली बार यहां की जनता विधानसभा चुनावों में भाग लेगी. लोकसभा चुनावों में यहां की जनता ने यह दिखा दिया है कि पुरानी पार्टियों जैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस , पीडीपी और कांग्रेस के लिए उनके दिलों में जगह कम हुई है. हालांकि लोकसभा चुनावों में 2 सीट जरूर नेशनल कॉन्फ्रेंस को मिली पर नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हार ये बताती है कि पार्टी का दबदबा अब कमजोर हो गया है. इसके बावजूद कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ आने से जाहिर है कि दोनों पार्टियों को ही मजबूती मिलेगी. पर बीजेपी के लिए उम्मीद खत्म नहीं हुई है.क्योंकि जम्मू कश्मीर में किसी भी पार्टी में 35-40 सीट से ज्यादा जीतने की कूव्‍वत नहीं दिख रही है. 

कांग्रेस-नेकां गठबंधन से बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचेगा?

अगर लोकसभा चुनावों को आधार माने तो नेशनल कॉन्फ्रेंस कुल 34 विधानसभा सीटों पर आगे चल रही थी. कांग्रेस को भी सात सीटों पर आगे रहने का मौका मिला है. जाहिर है कि इस तरह कुल 41 सीट जीतने की उम्मीद कर सकता है यह गठबंधन. पर कांग्रेस को सात सीटों में 2 ऐसी सीटें रहीं जो हिंदू बहुल सीटें हैं. यह हो सकता है कि आमने सामने की फाइट में हिंदू बहुल सीटों पर कांग्रेस की बजाय बीजेपी समर्थित कैंडिडेट को फायदा हो. क्योंकि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फेंस का साथ है. हालांकि कांग्रेस और नेकां गठबंधन में अभी कुछ और दलों के शामिल होने की भी संभावना है. अगर ऐसा होता है तो यह गठबंधन और मजबूत हो सकता है. एक बात और है यह भी है कि चुनाव बाद सरकार बनाने के लिए जो गठबंधन होंगे उनमें भी पीडीपी और अन्य पार्टियां इस गठबंधन के साथ जा सकती हैं. गौरततलब है कि लोकसभा चुनावों में पीडीपी 5 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी जबकि इंजीनियर राशिद की पार्टी 14 विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी. इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए इन पार्टियों को भी कुछ सीटें मिलेंगी.

बीजेपी के सामने यह गठबंधन इसलिए भी चुनौती बन सकता है कि कांग्रेस का प्लान है कि वो जम्मू डिवीजन में बीजेपी को 20 सीटों पर रोक दे. स्थानीय मुद्दों को लेकर बीजेपी विरोध से इनकार नहीं किया जा सकता. पर हाल के महीनों में जिस तरह पाकिस्तान प्रायोजित हमले जम्मू रीजन में हुए हैं उससे एक बार फिर यहां बीजेपी के लिए लोगों का नजरिया बदला है.

पर गठबंधन का नुकसान भी कांग्रेस को कम नहीं उठाना पड़ेगा. बीजेपी यह बातें जोर शोर से उठाएगी कि नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के मेनिफेस्टो में हरी/शंकराचार्य पर्वत का नाम बदलकर तख्त ए सुलेमान करने का वादा किया गया है. इसके साथ ही एनसी मेनिफेस्टो में पाकिस्तान से बातचीत और मध्यस्थता के साथ 370 को खत्म करने की बात भी की गई है. जाहिर है कि इन मुद्दों पर जम्मू रीजन के हिंदू कांग्रेस से बिदक सकते हैं. यही कारण है कि बीजेपी नेता बार-बार कांग्रेस और राहुल गांधी से 370 और 35 ए पर अपना स्टैंड क्लियर करने की मांग करते रहते है. 

बीजेपी के पक्ष में क्या है गणित

जम्मू कश्मीर की कुल 90 सीटों पर विधानसभा के चुनाव होने हैं. इनमें 47 सीटें कश्मीर में हैं, जबकि 43 सीटें जम्मू में हैं. जम्मू रीजन की सभी 30 हिंदू बहुल सीटों को बीजेपी ने हर हाल में जीतने का लक्ष्य तय किया है. लोकसभा चुनावों में इनमें से 29 सीटों पर बीजेपी आगे चल रही थी. साथ ही बीजेपी जम्मू के राजौरी क्षेत्र की करीब सात सीटों पर जहां हिंदू वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं उसे भी जीतने की प्लानिंग कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि बीजेपी का प्लान है कि कश्मीर घाटी में पार्टी सिर्फ 25 विधानसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी. बाकी 22 सीटों पर निर्दलीयों और स्थानीय पार्टियों के उम्मीदवारों को बीजेपी समर्थन दे सकती है.ये भी कहा जा रहा है कि बीजेपी हब्बाकदल, बारामूला समेत घाटी की कुछ अन्य सीटों पर कश्मीरी पंडितों को उम्मीदवार बना सकती है.

श्रीनगर के हब्बाकदल इलाके में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के करीब 22 हजार रजिस्टर्ड वोट हैं. बीजेपी की प्लानिंग है कि इन्हें अधिक से अधिक संख्या में इकट्ठा करके वोट डलवाया जाए. एक लाख 22 हजार विस्थापित कश्मीरी पंडितों में से 68/70 हजार के वोट रजिस्टर हो चुके हैं, उनको भी वोट कास्ट कराने के पार्टी तैयारी कर रही है.

चुनावों के ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी की पीर पंजाल क्षेत्र में ताकत बढ़ी है. जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के संस्थापक सदस्य और उपाध्यक्ष चौधरी जुल्फिकार अली अपने समर्थकों के साथ BJP में शामिल हो गए हैं.

इस तरह बीजेपी अगर कुल 35 सीटें भी जीतने में सफल होती है तो उसे उपराज्यपाल कोटे नियुक्त 5 और विधायकों का समर्थन मिल सकता है. नए परिसीमन में विधानसभा सीटें बढ़ाए जाने के साथ ही केंद्र सरकार ने दो विस्थापित कश्मीरी पंडितों को भी विधायक के तौर पर नामित किए जाने का प्रावधान किया है. इनके अलावा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित समुदाय के एक सदस्य और दो महिलाओं को भी विधायक के तौर पर नामित करने का प्रावधान हुआ है.जाहिर है इन नामित सदस्यों का वोट बीजेपी को ही मिलेगा.फिर भी बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए करीब 5 से 7 सीटों की जरूरत होगी. इसके लिए बीजेपी ने अभी से तैयारी कर ली है. भारतीय जनता पार्टी ने पोस्ट पोल एलायंस की संभावना के लिए बीजेपी ने राममाधव सरीखे नेता की ड्यूटी लगाई है. जाहिर है कश्मीर में पोस्ट पोल एलायंस का बहुत बड़ा खेला होने वाला है.


Source Agencies

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