सेना खरीद रही विदेशी राइफल… स्वदेशी कंपनी के CEO ने जताई नाराजगी, पूछा- कहां है मेक इन इंडिया प्रोग्राम? – SSS Defence CEO Vivek Krishnan criticizes Indian Armys SIG 716i rifle acquisition questions government decision on rifle procurement – MASHAHER

ISLAM GAMAL29 August 2024Last Update :
सेना खरीद रही विदेशी राइफल… स्वदेशी कंपनी के CEO ने जताई नाराजगी, पूछा- कहां है मेक इन इंडिया प्रोग्राम? – SSS Defence CEO Vivek Krishnan criticizes Indian Armys SIG 716i rifle acquisition questions government decision on rifle procurement – MASHAHER


भारत सरकार इंडियन आर्मी (Indian Army) के लिए 73 हजार और SIG716 असॉल्ट राइफल खरीद रही है. इसे अमेरिकी-स्विट्जरलैंड की कंपनी सिग सॉर (Sig Sauer) बनाती है. भारत की स्वदेशी हथियार निर्माता कंपनी SSS Defence के सीईओ विवेक कृष्णन इस बात से खासे नाराज दिख रहे हैं. उन्होंने ट्वीट करके सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है. पूछा है कि कहां है मेक इन इंडिया प्रोग्राम? 

आइए जानते हैं कि क्या लिखा है उन्होंने अपने X हैंडल पर… 

28 अगस्त के इस X हैंडल पर उन्होंने लिखा है कि… एक दिन पहले से लोग मुझसे SIG716i के एक्वीजिशन पर मेरा ओपिनियन पूछ रहे हैं. खैर.. हमें ये पता था कि ये होने वाला है. इसलिए हम अपने काम पर लग गए. लेकिन कुछ बातें स्पष्ट कही जानी चाहिए… 

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ये है SIG Sauer की SIG716i असॉल्ट राइफल, जो भारतीय सेना के लिए मंगाई जा रही है. 

1. मैं चाहता था कि सरकार इसे और न खरीदे. सरकार को भारतीय कंपनियों से संपर्क करना चाहिए था. भारतीय डिजाइन वाली राइफल खरीदनी चाहिए थी. इससे देश की कंपनियां अच्छी राइफल बनाने के लिए प्रेरित होतीं. उन्होंने यह भी कहा कि पहले से सेवा में मौजूद राइफलों की तुलना करनी चाहिए थी, ताकि यह देखा जा सके कि क्या नए राइफल खरीदने की जरूरत है.

2. इस बार तो यह डील हो गई. हम कुछ नहीं कर सकते. लेकिन हम हार नहीं मानेंगे. इस बिजनेस में हम सबसे ताकतवर बनकर उभरेंगे. हमारे पास हर कैलिबर का हथियार होगा. इसे इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति यूनिफॉर्म में होगा. अब हम वैश्विक स्तर पर जाएंगे.  

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SSS डिफेंस की बनाई हुई राइफल्स. 

3.  देश में डिफेंस के लिए ‘Make In India’ कहां है? छोटे हथियारों के क्षेत्र में कुछ लोग अच्छा काम कर रहे हैं. उनमें प्रतिबद्धता है. सिर्फ धैर्य की और जरूरत है. केवल मूर्ख ही स्वदेशी हथियारों के बिना रक्षा की कल्पना कर सकता है. आसपास के देशों को आकर हमसे हथियार खरीदना होगा. 

4. क्या हमें भारतीय चीजों में गर्व होना चाहिए? हमने सरकारी कंपनियों में कमजोर हथियार बनाकर यह गर्व खो दिया.  लेकिन निजी कंपनियां अब अच्छा काम कर रही हैं. गर्व हासिल कर रही हैं. अच्छे हथियार बनाना और उन्हें स्वीकार करवाना मुश्किल है, लेकिन हमने वैश्विक स्तर पर जाकर यह सीखा है. हमारे अपने देश में हमें सम्मान नहीं मिलता, लेकिन विदेश में हमारे समकक्ष हमें सम्मान देते हैं. यह आत्मसम्मान की बात है. 

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5. और अब आखिरी बात… यह एक चुनौती है, जब हमारे खरीदार हमसे कहते आए हैं कि हमारे धातु विज्ञान में कमी है या हमारी डिजाइन कमजोर है. मैं कहता हूं कि हमारे स्वदेशी हथियार को प्रत्येक कैलिबर में वैश्विक मानक के खिलाफ खड़ा करें. उनका परीक्षण करें. परिणामों को सबके सामने रखें, सार्वजनिक तौर पर. जैसे वास्तविक सेनाएं करती हैं. परीक्षण प्रोटोकॉल स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं. यह दोनों पक्षों के लिए सबसे अच्छा होगा. यह करना कितना ही मुश्किल है?




Source Agencies

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