कंधार हाईजैक पर बनी वेब सीरीज ‘IC 814′ में आतंकियों के हिंदू नामों पर विवाद, जानिए क्या है सच्चाई – Row over hijackers’ Hindu names in Anubhav Sinha’s IC 814 Here’s the truth ntc – MASHAHER

ISLAM GAMAL2 September 2024Last Update :
कंधार हाईजैक पर बनी वेब सीरीज ‘IC 814′ में आतंकियों के हिंदू नामों पर विवाद, जानिए क्या है सच्चाई – Row over hijackers’ Hindu names in Anubhav Sinha’s IC 814 Here’s the truth ntc – MASHAHER


फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा की नई वेब सीरीज ‘आईसी 814: द कंधार हाईजैक स्टोरी’ जिसका प्रीमियर 29 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर हुआ, उसे लेकर सोशल मीडिया पर घमासान छिड़ा हुआ है. दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 814 के अपहरण पर आधारित इस सीरीज की सोशल मीडिया पर एक वर्ग द्वारा यह कहकर आलोचना की जा रही है कि इसमें कथित तौर पर अपहरणकर्ताओं के नाम बदलकर हिंदू नाम रखे गए.

नेटफ्लिक्स पर ‘आई सी 814: द कंधार हाइजैक’ में इंडियन एयरलाइंस के विमान IC 814 के हाइजैकिंग की कहानी दिखाई गई है. ये हाइजैक, 24 दिसंबर, 1999 को हुआ था.  नेपाल के काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट को पांच आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया था. 

अपहरणकर्ताओं के कोडनेम

विमान का अपहरण कर उसे कई जगहों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा. फाइनली विमान अफगानिस्तान के कंधार में जाकर रुका, जो तालिबान के नियंत्रण में था.सीरीज़ में, अपहरणकर्ताओं को चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर के रूप में संदर्भित किया गया है. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने भोला और शंकर के नामों को लेकर गुस्सा और निराशा जाहिर की. लोगों ने आरोप लगाया कि फिल्म निर्माता ने जानबूझकर अपहरणकर्ताओं का नाम हिंदू रखा, जबकि वो मुस्लिम थे.  

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने अनुभव सिन्हा पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने और संभावित रूप से धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाया है.

सच्चाई क्या है?

6 जनवरी, 2000 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, अपहरणकर्ताओं के असली नाम थे:

-इब्राहिम अतहर, बहावलपुर

-शाहिद अख्तर सईद, गुलशन इकबाल, कराची

-सनी अहमद काजी, डिफेंस एरिया, कराची

-मिस्त्री जहूर इब्राहिम, अख्तर कॉलोनी, कराची

-शाकिर, सुक्कुर सिटी

क्या है सच्चाई
विदेश मंत्रालय की रिलीज में बताया गया है कि अपहृत विमान में सवार यात्रियों के लिए, अपहरणकर्ता ने खुद के लिए कोडनेम रखे हुए थे जिनमें – चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर थे. ये वे नाम थे जिनका इस्तेमाल वे अपहरण के दौरान एक-दूसरे को बुलाने के लिए करते थे. तो इसलिए यह कहना कि फिल्म निर्माता ने नाम बदले थे, यह ठीक नहीं होगा. घटना के दौरान दो अपहरणकर्ताओं द्वारा नाम का कोडनेम के लिए किया गया था.

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नेटफ्लिक्स सीरीज़ पत्रकार श्रींजॉय चौधरी और देवी शरण (आईसी 814 फ्लाइट के कप्तान) द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘फ्लाइट इनटू फियर: द कैप्टन स्टोरी’ पर आधारित है, इस सीरीज़ में विजय वर्मा, नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, मनोज पाहवा, अरविंद स्वामी, अनुपम त्रिपाठी, दीया मिर्जा, पत्रलेखा, अमृता पुरी, दिव्येंदु भट्टाचार्य, कुमुद मिश्रा प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

आईसी 814: कंधार अपहरण
काठमांडू से नई दिल्ली जा रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 814 को 24 दिसंबर, 1999 को उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह हरकत-उल-मुजाहिदीन के पांच सशस्त्र आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था.

अपहरणकर्ताओं ने विमान को कई बार अपना मार्ग बदलने के लिए मजबूर किया, पहले इसे अमृतसर, फिर लाहौर  और बाद में दुबई, संयुक्त अरब अमीरात ले जाया गया, जहां  ईंधन भरे जाने की एवज में  27 यात्रियों को रिहा किया गया, जिसमें एक गंभीर रूप से घायल बंधक भी शामिल था, जिसने बाद में अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया.

यात्री प्लेन में एक अपहरणकर्ता से भिड़ गया था, इस दौरान आतंकी का चाकू यात्री की गर्दन पर लग गया था. जिससे उसकी एक नस कट गई थी. वह लहुलुहान हो गया. ऐसे में अपहरणकर्ताओं ने उसे दुबई में ही उतार दिया था. उस यात्री की पहचान 25 साल के रूपेन कात्याल के तौर पर हुई थी. बाद में उसकी मौत हो गई थी. आखिरकार, विमान कंधार, अफगानिस्तान में उतरा, जो उस समय तालिबान के नियंत्रण में था.

अपहरणकर्ताओं ने की थी ये मांग

अपहरणकर्ताओं ने भारतीय जेलों में बंद 36 आतंकवादियों की रिहाई, 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर नकद और एक मृत आतंकवादी के अवशेषों की मांग की. अपहरणकर्ताओं, भारत सरकार और तालिबान प्रतिनिधियों के बीच गहन बातचीत हुई. कई दिनों तक चले तनावपूर्ण गतिरोध और बंधकों की जान को जोखिम में डालने के बाद, भारत सरकार ने तीन हाई-प्रोफाइल आतंकवादियों को रिहा करने पर सहमति जताई.

तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में जसवंत सिंह विदेश मंत्री थे. भारत की तीन अलग-अलग जेलों में बंद मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद बाहर निकाला गया और ख़ुद विदेश मंत्री विशेष विमान से उन तीनों आतंकियों को अपने साथ लेकर कंधार पहुंचे थे. 31 दिसंबर, 1999 को तीनों की पहचान की पुष्टि करने के बाद जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद को तालीबान की मौजूदगी में कंधार में ही रिहा कर दिया गया था. हालांकि, अपहरणकर्ताओं को पाकिस्तान भागने की अनुमति दी गई.


Source Agencies

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